सफलता का रहस्य
ऐसे अनेक व्यक्ति देखने में आते हैं, जो सब प्रकार के साधन उपलब्ध होते हुये भी किसी प्रकार की उन्नति नहीं कर पाते। जिनकी आर्थिक दशा अच्छी है, विद्या-उपार्जन के साधन प्राप्त हैं, अन्य प्रकार के सहयोग का भी अभाव नहीं है, वे लोग भी जब मुर्दे की तरह एक ही स्थान पर अचल पड़े रहते हैं तब यह प्रश्न उठ खड़ा होता है कि क्यों यह उन्नति नहीं कर पाते। वे स्वयं भी यह सोचते हैं कि जब हमसे सब दृष्टियों में छोटे लोग तरक्की करके बड़े स्थानों में पहुँच गये तो हमें सफलता क्यों नहीं मिलती? वे यथासाध्य प्रयत्न जारी रखते हैं, ईश्वर और धर्म पर विश्वास रखते हैं, मन ही मन देवताओं की मनौती मनाते हैं, परन्तु फल कुछ नहीं होता।
निराशा और असफलता के ही बार बार दर्शन करने पड़ते हैं।
सम्भव है ऐसे लोग किसी को सताते न हों, किसी की बुराई न करते हों, किसी के साथ विश्वासघात न करते हों, किसी के साथ अन्याय न करते हों, पर विचार पूर्वक देखने से पता चलता है कि वे अपने साथ बुराई, विश्वासघात और अन्याय अवश्य करते हैं।
अमेरिका के धनपतियों का सिद्धान्त है कि ‘कम से कम खर्च में अधिक काम निकाला जाय’ यह सिद्धान्त केवल रुपया कमाने या कारखाने चलाने के लिए ही नहीं अपितु दैनिक जीवन यात्रा के लिए भी आवश्यक है। हम छोटे काम में अधिक शक्ति खर्च कर देते हैं, परिणामतः अधिक पूँजी में थोड़ा काम होता है। जिन साधन सम्पन्न लोगों को अक्सर असफलता का सामना करना पड़ता है उनको इसी अपव्यय का शिकार पाया जाता है। जिस कार्य में जितनी शक्ति व्यय करनी है उसमें उतनी ही या उतनी से कम व्यय करनी चाहिए तभी तो लाभ होगा। व्यर्थ की गप्पे हाँकने, घण्टों ताश खेलते रहने, दूसरों की अकारण निन्दा स्तुति में लगे रहने, नशेबाजों की आदत डाल लेने, शेखचिल्ली के से मनसुए बाँधते रहने में संचित शक्ति का उपयोगी भाग फिजूल चला जाता है और आवश्यक कार्यों के लिए आवश्यक पूँजी निबट जाती है।
देखा जाता है कि योग्यता होते हुए भी कई आदमी ठीक प्रकार अपना काम नहीं कर पाते उनके काम अधूरे, बेढंगे और गलतियों से भरे हुए होते हैं। समझना चाहिए कि इन्होंने दूसरे काम में अपनी शक्ति खर्च कर दी है और यहाँ बालू के किले बना रहे हैं। उठती जवानी के नवयुवकों में जब सुस्ती, काहिली, उदासी, पीलापन, दुर्बलता दिखाई पड़े तो यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि इन्होंने अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर डाला है और आवश्यक कार्य करने में दिवालिए बन गए हैं।
आपकी उन्नति का मार्ग तो यही हो सकता है कि जिस कार्य में लगे हुए हैं उसकी और उससे सम्बन्धित अन्य बातों की जानकारी प्राप्त करें एवं दूसरों के मुकाबले में अपने को अधिक उपयोगी सिद्ध करें।
एक समय में एक काम कीजिए, जब जो कार्य करना हो उसमें पूरी शक्ति लगा दीजिए। मनोयोग के साथ काम करने से शरीर और मन की सारी शक्तियाँ एक स्थान पर केन्द्रित हो जाती हैं और तब उस विषय के गुप्त रहस्य प्रत्यक्ष दिखाई पड़ने लगते हैं। सफलता इन्हीं रहस्यों में छिपी रहती है।
जिन छोटे लोगों ने बड़े काम किए हैं उन्होंने जाने अनजाने में इसी नियम को अपना सहायक बनाया है कि ‘शक्ति को ठीक काम में लगाया जाय एक ही ओर झुकाव होने और शक्ति को अनावश्यक नष्ट न होने देने का ध्यान रखने से कम खर्च में ज्यादा काम होने वाला सिद्धान्त पूरा हो जाता है और उन्नति होने में देर नहीं लगती।
बूँद-बूँद इकट्ठा करने से घड़ा भर जाता है। रत्ती रत्ती इकट्ठा कर के मधुमक्खियाँ छत्ते में सेरों शहद जमा कर लेती है। निरंतर एक ही दिशा में थोड़ा थोड़ा भी प्रयत्न करते रहने पर बहुत संग्रह हो सकता है। व्यर्थ की बातों से दूर रहिए। भूतकाल की दुखदायी घटनाओं की बार-बार मत याद कीजिए। सुनहले भविष्य की ओर टकटकी लगाये रहिए। शक्ति को संचय कीजिए, अपने निश्चित लक्ष की ओर उत्साह के साथ बढ़िये, उसी में पूरी ताकत खर्च कर दीजिए।
आप का छोटा काम भी इतना सुन्दर होगा कि बड़ों से अधिक महत्व रखेगा। सफलता आपको नवीन उत्साह प्रदान करेगी जिससे प्रेरित होकर आप महानतम कार्यों को आसानी से कर सकेंगे।
(संकलित व सम्पादित)
अखण्ड ज्योति फरवरी 1940 पृष्ठ 12
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